Sambhaji Maharaj
इतिहास के पन्नों में ना जाने कितने ही वीर यूं ही खो गए जिन्हें हम आज तक सच्ची श्रद्धांजलि तक नहीं दे पाए हैं। आज मैं आपको एक शेर के बच्चे छावा की कहानी सुनाती हूं। मराठी में शेर के बच्चे को छावा कहते हैं।मराठा शेर छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज की कहानी। 14 मई 1647 को जन्मे शिवाजी महाराज और सई बाई की पहली संतान थे संभाजी महाराज। मां के दुलारे और दादी मां जीजाबाई की आंखों के तारे। फिर भी नियति बचपन से ही संभाजी के प्रति क्रूर रही। बचपन में ही मां सई बाई को खो दिया ।विमाता सोयराबाई ने हमेशा ही कटाक्ष की दृष्टि से उन्हें देखा।शिवाजी महाराज अक्सर राजकाज के कार्य से बाहर ही रहे, अपनी दादी मां के साथ ही संभाजी बड़े होने लगे ।जीजाबाई की छत्रछाया में बड़े होने के कारण संभाजी में शिवाजी महाराज की तरह ही उच्च संस्कार और मजबूत इरादों का संचार हुआ। जब वह 9 साल के थे तब उन्हें एक राजनीतिक बंधक के तौर पर अंबर के राजा जयसिंह के पास बंधक बनाकर भेजा गया उनका विवाह भी राजनीतिक समझौते के तहत जिवुबाई से हुआ । एक बार शिवाजी महाराज को कैद कर औरंगजेब ने जेल में डलवा दिया, उस समय संभाजी भी ...